Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2021

Rajput samrat prithviraj chauhan - राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान history

"तराइन की दूसरी लड़ाई के घातक दुष्परिणाम" (1192 ई. से 1206 ई. तक) शहाबुद्दीन गौरी ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी अजमेर, सवालक, हांसी व सरस्वती पर फ़तह हासिल की शहाबुद्दीन गौरी ने सम्राट के पुत्र गोविंदराज से अधीनता स्वीकार करवाकर उसको अजमेर की गद्दी पर बिठाया गौरी ने अजमेर में मंदिरों का विध्वंस करके मस्जिदें बनवाने का हुक्म दिया फिर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के भाई हरिराज ने गौरी की अधीनता स्वीकार करके गोविन्दराज से अजमेर छीन लिया गोविन्दराज रणथंभौर में रहने लगे "तराइन की दूसरी लड़ाई के 16 दिन बाद की घटना" तराइन की लड़ाई में दिल्ली के राजा चाहड़पाल तोमर के पुत्र तेजपाल द्वितीय भी मौजूद थे, जो अन्य जीवित बचे राजाओं को साथ लेकर दिल्ली पहुंचे दिल्ली में फिर लड़ाई हुई, जिसके बाद तेजपाल तोमर ने संधि करके अधीनता स्वीकार की सुल्तान जब गज़नी की तरफ लौट गया तो एक वर्ष बाद 1193 ई. में तेजपाल तोमर ने फिर से दिल्ली जीतने की कोशिश की। तेजपाल ने राजपूतों व हरियाणा के जाट, अहीर, गूजरों की मिली-जुली फौज एकत्र की, लेकिन गौरी का ग़ुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक विजयी रहा। हसन निजामी के

युद्ध भूमि हल्दीघाटी का इतिहास - haldighati ka itihas

 युद्ध भूमि हल्दीघाटी का इतिहास - haldighati ka itihas   क्या आपने कभी पढ़ा है कि हल्दीघाटी के बाद अगले १० साल में मेवाड़ में क्या हुआ? इतिहास से जो पन्ने हटा दिए गए हैं उन्हें वापस संकलित करना ही होगा क्यूंकि वही हिन्दू रेजिस्टेंस और शौर्य के प्रतीक हैं इतिहास में तो ये भी नहीं पढ़ाया गया है की हल्दीघाटी युद्ध में जब महाराणा प्रताप ने कुंवर मानसिंह के हाथी पर जब प्रहार किया तो शाही फ़ौज पांच छह कोस दूर तक भाग गई थी और अकबर के आने की अफवाह से पुनः युद्ध में सम्मिलित हुई है ये वाकया अबुल फज़ल की पुस्तक अकबरनामा में दर्ज है। क्या हल्दी घाटी अलग से एक युद्ध था या एक बड़े युद्ध की छोटी सी घटनाओं में से बस एक शुरूआती घटना महाराणा प्रताप को इतिहासकारों ने हल्दीघाटी तक ही सिमित करके मेवाड़ के इतिहास के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है वास्तविकता में हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और मुगलों के बीच हुए कई युद्धों की शुरुआत भर था मुग़ल न तो प्रताप को पकड़ सके और न ही मेवाड़ पर अधिपत्य जमा सके हल्दीघाटी के बाद क्या हुआ वो हम बताते हैं। हल्दी घाटी के युद्ध के बाद महाराणा के पास सिर्फ 7000 सैनिक ही बचे थे और

राजपूतो का गौरवशाली इतिहास - rajputo ka gauravshali itihas

राजपूतो का गौरवशाली इतिहास ।। आपका रक्त धीमा पढ़ जाएगा जरा ध्यान से पढ़िए शूरवीर राजपूत योद्धाओं के महान सत्य....जय राजपुताना का जयकारा जरूर लगाइए... 1. चित्तौड़ के जयमाल मेड़तिया ने एक ही झटके में हाथी का सिर काट डाला था । 2. करौली के जादोन राजा अपने सिंहासन पर बैठते वक़्त अपने दोनो हाथ जिन्दा शेरों पर रखते थे । 3. जोधपुर के जसवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी सिंह ने हाथोँसे औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था । 4. राणा सांगा के शरीर पर युद्धोंके छोटे-बड़े 80 घाव थे। युद्धों में घायल होने के कारण उनके एक हाथ नहीं था, एक पैर नही था, एक आँख नहीं थी। उन्होंने अपने जीवन-काल में 100 से भी अधिक युद्ध लड़े थे । 5. एक राजपूत वीर जुंझार जो मुगलों से लड़ते वक्त शीश कटने के बाद भी घंटे तक लड़ते रहे आज उनका सिर बाड़मेर में है, जहाँ छोटा मंदिर हैं और धड़ पाकिस्तान में है। 6. रायमलोत कल्ला का धड़, शीश कटने के बाद लड़ता-लड़ता घोड़े पर पत्नी रानी के पास पहुंच गया था तब रानी ने गंगाजल के छींटे डाले तब धड़ शांत हुआ। 7. चित्तौड़ में अकबर से हुए युद्ध में जयमाल राठौड़ पैर ज

राणा सांगा - राजपूतो की शान

राणा सांगा दुनिया के इतिहास में शायद क्षत्रिय ही सिर्फ इकलौती कौम है, जिसके वीरता और पराक्रम की गाथाएं दुश्मनों की लिखी हुई किताबों में अधिक मिलती है। चंगेज खान और तैमूर के वंशज बाबर ने अपनी आत्मकथा पुस्तक "बाबरनामा"में अपने समय राजपूत "राणा सांगा"जी की शक्ति का वर्णन किया है, कि कैसे खानवा के युद्ध से पहले जिसमे उसने तोपो बंदुखो/बारूदो का इस्तेमाल नहीं किया था और उस कन्वेंशनल युद्ध में जिसे बयाना का युद्ध कहा जाता है। उस परंपरागत हुए युद्ध में किस तरह राजपूतों ने उसे बुरी तरह परास्त किया था। जब चंगेज खान का वंशज और मुगल साम्राज्य का संस्थापक बाबर ने लिखा कि राजपूत अपनी वीरता तलवार पराक्रम के बल उस समय सबसे बड़ी शक्ति थे। जिनका सामना करने की हिम्मत दिल्ली गुजरात मालवे के सुल्तानों में एक भी बड़े सुल्तान में नहीं थी। ये ताकत राजपूतों की शुरुआती 16 वी सदी में थी। जब तुर्क अफ़ग़ान शक्तियां भी अपने चरम पर थी। तो राजपूतों को उनसे प्रमाण की जरूरत नहीं जिनका 18 वी सदी से पहले कोई इतिहास ही नहीं। पूरे उपमहाद्वीप में कोई गैर राजपूत शक्ति नहीं जिनके सैनिक शक्ति का

meaning of real क्षत्रिय - विजय या वीरगति

वीर कहता है - मेरा सिर या तो ईश्वर के चरणों में झुक कर धरती को स्पर्श करता है ^ या फिर दूसरों के हित में कट कर भूमि क चरणों में झुकता है ^ ऐसा मेरा स्वाभिमानी मस्तक शत्रुओं के समक्ष कैसे झुक सकता है ^ तलवार से कडके बिजली, लहु से लाल हो धरती, ^ हे भगवती ऐसा वर दो मोहि, विजय मिले या वीरगति ॥ 👑 रण खेती रजपूत री , कबहू न पीठ धरे !! !! देश रुखाले आपणे , दुखिया री पीड़ हरे !! #मध्यकालीन #भारत की एक महान उक्ति /कहावत जब #क्षत्रिय (राजपूतों) ने #शास्त्र #खूंटी पर टांग दिए थे और #शस्त्रों को अपनी #संगिनी बना लिया था !....अंदाजा लगा सकते हैं आप , वह दौर कितना भयानक रहा होगा ! भावार्थ :- युद्ध एक खेत है , जहां क्षत्रिय फसल की भांति दिन रात डटा रहता जैसे खेत में फसल होती है न , वहीं पैदा होना , वहीं बढ़ना और अंत में वहीं मर भी जाना ! राजपूत कभी युद्ध में अपनी पीठ नही दिखाते और अपने देश की रक्षा करके , अपनी प्रजा के दुखो को दूर करते हैं। #mahranapratap #singh #rajputsamratprithvirajchauhan 

Rajput samrat mihir bhoj - राजपूत सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार

भारत के इतिहास में मिहिरभोज से बडा आज तक कोई भी सनातन धर्म रक्षक एवं राष्ट्र रक्षक नही हुआ। एक ऐसे राजपूत क्षत्रिय योद्धा जिन्होंने अरबों से लगभग 40 युद्ध कर अरबों को भारत से पलायन करने पर मजबूर कर दिया । प्रतिहार_क्षत्रिय_राजवंश का इतिहास < ---  सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार जी की जयंती पर प्रतिहार वंश की संपूर्ण इतिहास जानिए ।। प्रतिहार_क्षत्रिय_राजवंश का इतिहास < --- कल सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार जी की जयंती पर प्रतिहार वंश की संपूर्ण इतिहास जानिए ।। प्रतिहार क्षत्रिय एक ऐसा वंश है जिसकी उत्पत्ति पर कई इतिहासकारों ने शोध किए जिनमे से कुछ अंग्रेज भी थे और वे अपनी सीमित मानसिक क्षमताओं तथा भारतीय समाज के ढांचे को न समझने के कारण इस वंश की उतपत्ति पर कई तरह के विरोधाभास उतपन्न कर गए। प्रतिहार नरेश नागभट्ट प्रथम के सेनापति गल्लक के शिलालेख जिसकी खोज डा. शांता रानी शर्मा जी ने की थी जिसका संपूर्ण विवरण उन्होंने अपनी पुस्तक " Society and culture Rajasthan c. AD. 700 - 900 पर किया है। इस शिलालेख मे नागभट्ट प्रथम के द्वारा बस्ती को उखाड फेकने एवं प्रतिहारों के

Rajput maharaja dada aanangpal tomar - राजपूत सम्राट दादा अनंगपाल तोमर

राजपूत सम्राट दादा अनंगपाल तोमर तंवर वंश की पांडववीर अर्जुन से दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल तक की वंशावली :- 1. अर्जुन 2. अभिमन्यु 3. परिक्षत 4. जनमेजय 5. अश्वमेघ 6. दलीप 7. छत्रपाल 8. चित्ररथ 9. पुष्टशल्य 10. उग्रसेन 11. कुमारसेन 12. भवनति 13. रणजीत 14. ऋषिक 15. सुखदेव 16.नरहरिदेव 17. सूचीरथ 18. शूरसेन 19. दलीप द्वितीय 20. पर्वतसेन 21. सोमवीर 22. मेघाता 23. भीमदेव 24. नरहरिदेव द्वितीय 25. पूर्णमल 26. कर्दबीन 27. आपभीक 28. उदयपाल 29. युदनपाल 30. दयातराज 31. भीमपाल 32. क्षेमक 33. अनक्षामी 34. पुरसेन 35. बिसरवा 36. प्रेमसेन 37. सजरा 38. अभयपाल 39. वीरसाल 40. अमरचुड़ 41. हरिजीवि 42. अजीतपाल 43. सर्पदन 44. वीरसेन 45. महेशदत्त 46. महानिम 47. समुद्रसेन 48. शत्रुपाल 49. धर्मध्वज 50. तेजपाल 51. वालिपाल 52. सहायपाल 53. देवपाल 54. गोविन्दपाल 55. हरिपाल 56. गोविन्दपाल द्वितीय 57. नरसिंह पाल 58. अमृतपाल 59. प्रेमपाल 60. हरिश्चंद्र 61. महेंद्रपाल 62. छत्रपाल 63. कल्याणसेन 64. केशवसेन 65. गोपालसेन 66. महाबाहु 67. भद्रसेन 68. सोमचंद्र 69. रघुपाल 70. नारायण 71. भनुपाद 72. पदमपाद 73. दामोदरसेन

भाई ओकेन्द्र राणा को लेकर खुशखबरी

  भाई ओकेन्द्र राणा बीकानेर जेल में बंद है और सुरक्षित है मेरी रात को ही जेल प्रसासन ओर वहा के एडिशनल एस पी से बात हुई है साथ ही मे सूत्रों द्वारा बीकानेर जेल के अंदर मालूम किया है कोई मारपीट नही हुई है| जो भी बाते फेलाई गयी ह सभी झूठी है अफवाहों पे विश्वास ना करे जल्द ही भाई हम सब के बीच होगा कृपया कर के ये अफवाहे न फैलाये ओर ऐसे लोगो की में कडे शब्दो मे निंदा करता हु जो जबर्दस्ती ओर जिसका कोई औचित्य नही है झूठ फैला रहे है ||  #i_stand_with_okender_rana भाई जब जब समाज को okender भाई की जरूरत पड़ी। ये शख्स उधर खड़ा हुआ आज समाज की जरूरत है okender Rana को सभी #संगठनों से हाथ जोड़ कर विनती है साथ दे और बीकानेर प्रशासन पर दवाब बनाए। ताकि वो हमारे भाई okender की #चार्टशीट कोर्ट में 90 दिन से पहले पेश करें । और हम अपने भाई की जमानत लगा पाए। जय भवानी 🚩 जय राजपूताना 🚩