Skip to main content

DMCA

 

DMCA

If we Have added some content that belong to you or your organization by mistake, We are sorry for that. We apologize for that and assure you that this wont be repeated in future. If you are rightful owner of the content used in our Website, Please mail us with your Name, Organization Name, Contact Details, Copyright infringing URL and Copyright Proof (URL or Legal Document) at thakurharshshishodia9@gmail.com

I assure you that, I will remove the infringing content Within 48 Hours.

Comments

Popular posts from this blog

meaning of real क्षत्रिय - विजय या वीरगति

वीर कहता है - मेरा सिर या तो ईश्वर के चरणों में झुक कर धरती को स्पर्श करता है ^ या फिर दूसरों के हित में कट कर भूमि क चरणों में झुकता है ^ ऐसा मेरा स्वाभिमानी मस्तक शत्रुओं के समक्ष कैसे झुक सकता है ^ तलवार से कडके बिजली, लहु से लाल हो धरती, ^ हे भगवती ऐसा वर दो मोहि, विजय मिले या वीरगति ॥ 👑 रण खेती रजपूत री , कबहू न पीठ धरे !! !! देश रुखाले आपणे , दुखिया री पीड़ हरे !! #मध्यकालीन #भारत की एक महान उक्ति /कहावत जब #क्षत्रिय (राजपूतों) ने #शास्त्र #खूंटी पर टांग दिए थे और #शस्त्रों को अपनी #संगिनी बना लिया था !....अंदाजा लगा सकते हैं आप , वह दौर कितना भयानक रहा होगा ! भावार्थ :- युद्ध एक खेत है , जहां क्षत्रिय फसल की भांति दिन रात डटा रहता जैसे खेत में फसल होती है न , वहीं पैदा होना , वहीं बढ़ना और अंत में वहीं मर भी जाना ! राजपूत कभी युद्ध में अपनी पीठ नही दिखाते और अपने देश की रक्षा करके , अपनी प्रजा के दुखो को दूर करते हैं। #mahranapratap #singh #rajputsamratprithvirajchauhan 

Rajput maharaja dada aanangpal tomar - राजपूत सम्राट दादा अनंगपाल तोमर

राजपूत सम्राट दादा अनंगपाल तोमर तंवर वंश की पांडववीर अर्जुन से दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल तक की वंशावली :- 1. अर्जुन 2. अभिमन्यु 3. परिक्षत 4. जनमेजय 5. अश्वमेघ 6. दलीप 7. छत्रपाल 8. चित्ररथ 9. पुष्टशल्य 10. उग्रसेन 11. कुमारसेन 12. भवनति 13. रणजीत 14. ऋषिक 15. सुखदेव 16.नरहरिदेव 17. सूचीरथ 18. शूरसेन 19. दलीप द्वितीय 20. पर्वतसेन 21. सोमवीर 22. मेघाता 23. भीमदेव 24. नरहरिदेव द्वितीय 25. पूर्णमल 26. कर्दबीन 27. आपभीक 28. उदयपाल 29. युदनपाल 30. दयातराज 31. भीमपाल 32. क्षेमक 33. अनक्षामी 34. पुरसेन 35. बिसरवा 36. प्रेमसेन 37. सजरा 38. अभयपाल 39. वीरसाल 40. अमरचुड़ 41. हरिजीवि 42. अजीतपाल 43. सर्पदन 44. वीरसेन 45. महेशदत्त 46. महानिम 47. समुद्रसेन 48. शत्रुपाल 49. धर्मध्वज 50. तेजपाल 51. वालिपाल 52. सहायपाल 53. देवपाल 54. गोविन्दपाल 55. हरिपाल 56. गोविन्दपाल द्वितीय 57. नरसिंह पाल 58. अमृतपाल 59. प्रेमपाल 60. हरिश्चंद्र 61. महेंद्रपाल 62. छत्रपाल 63. कल्याणसेन 64. केशवसेन 65. गोपालसेन 66. महाबाहु 67. भद्रसेन 68. सोमचंद्र 69. रघुपाल 70. नारायण 71. भनुपाद 72. पदमपाद 73. दामोदरसेन

Rajput samrat mihir bhoj - राजपूत सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार

भारत के इतिहास में मिहिरभोज से बडा आज तक कोई भी सनातन धर्म रक्षक एवं राष्ट्र रक्षक नही हुआ। एक ऐसे राजपूत क्षत्रिय योद्धा जिन्होंने अरबों से लगभग 40 युद्ध कर अरबों को भारत से पलायन करने पर मजबूर कर दिया । प्रतिहार_क्षत्रिय_राजवंश का इतिहास < ---  सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार जी की जयंती पर प्रतिहार वंश की संपूर्ण इतिहास जानिए ।। प्रतिहार_क्षत्रिय_राजवंश का इतिहास < --- कल सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार जी की जयंती पर प्रतिहार वंश की संपूर्ण इतिहास जानिए ।। प्रतिहार क्षत्रिय एक ऐसा वंश है जिसकी उत्पत्ति पर कई इतिहासकारों ने शोध किए जिनमे से कुछ अंग्रेज भी थे और वे अपनी सीमित मानसिक क्षमताओं तथा भारतीय समाज के ढांचे को न समझने के कारण इस वंश की उतपत्ति पर कई तरह के विरोधाभास उतपन्न कर गए। प्रतिहार नरेश नागभट्ट प्रथम के सेनापति गल्लक के शिलालेख जिसकी खोज डा. शांता रानी शर्मा जी ने की थी जिसका संपूर्ण विवरण उन्होंने अपनी पुस्तक " Society and culture Rajasthan c. AD. 700 - 900 पर किया है। इस शिलालेख मे नागभट्ट प्रथम के द्वारा बस्ती को उखाड फेकने एवं प्रतिहारों के